Brihaspativar Vrat Katha PDF: बृहस्पतिवार व्रत कथा (Brihaspativar Vrat Katha) को भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा के रूप में जाना जाता है। इस व्रत की महिमा और कथा के अनुसार जो भी भक्त श्रद्धापूर्वक इस व्रत का पालन करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Table of Contents
बृहस्पतिवार व्रत कथा:
पुराने समय की बात है, एक नगर में एक बहुत ही धनवान ब्राह्मण परिवार रहता था। उनकी पत्नी बड़ी ही धार्मिक और दयालु थी। वह प्रत्येक बृहस्पतिवार को व्रत रखती और भगवान विष्णु की पूजा करती।
एक दिन उस ब्राह्मण ने अपनी पत्नी से कहा, “तुम्हारे इस व्रत से कुछ भी लाभ नहीं हो रहा है, न हमारे धन में वृद्धि हो रही है और न ही हमारी समस्याएं कम हो रही हैं।” उसकी बात सुनकर पत्नी को बहुत दुख हुआ, लेकिन उसने भगवान पर अपनी आस्था बनाए रखी और व्रत जारी रखा।
कुछ समय बाद एक दिन ब्राह्मण ने देखा कि उसकी पत्नी ने पीले वस्त्र धारण किए हैं और पूजा कर रही है। उसने यह देखकर सोचा कि शायद उसके व्रत से ही हमारा घर सुरक्षित है।
कुछ समय बाद, उसी नगर में एक साधु आया। वह ब्राह्मण के घर ठहरा और कहा, “तुम्हारे घर में बहुत धन आने वाला है, लेकिन तुम्हें इसे अच्छे कार्यों में लगाना होगा।” ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने साधु की बात मानी और कुछ ही दिनों में उन्हें बहुत सारा धन मिला। उन्होंने उस धन को गरीबों की मदद और धर्म-कर्म के कार्यों में लगाया। उनके घर में सुख-समृद्धि और शांति स्थापित हो गई।
इस प्रकार, बृहस्पतिवार व्रत की कथा से यह संदेश मिलता है कि हमें श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा करनी चाहिए।